महिलाएं और पत्रकारिता: चुनौतियाँ और संभावनाएँ
✍ योगेश कुमार
संस्थापक एवं निदेशक – नियोधि फाउंडेशन
संयोजक – नियोधि मीडिया संघ
महिला पत्रकारिता आज समाज की सबसे अहम ज़रूरत है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ हैं। कार्यस्थल पर असुरक्षा, यौन उत्पीड़न और भेदभाव की समस्याओं को देखते हुए नियोधि फाउंडेशन द्वारा संचालित नियोधि मीडिया संघ महिलाओं को सुरक्षित और सशक्त मंच देने की दिशा में काम कर रहा है।
पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। लेकिन यह स्तंभ तभी सशक्त होगा, जब इसमें समाज के हर वर्ग की समान भागीदारी सुनिश्चित हो — और उसमें भी महिलाओं की। आज महिलाएं पत्रकारिता के हर क्षेत्र में सक्रिय रूप से दिख रही हैं, लेकिन उनकी राहें अब भी संघर्षों और चुनौतियों से भरी हुई हैं।
परंपरा से परिवर्तन तक
एक समय था जब अख़बारों में महिलाओं की भूमिका मुख्यतः “फीचर लेखिका” तक सीमित थी। लेकिन आज वे ग्राउंड रिपोर्टिंग, खोजी पत्रकारिता, खेल, राजनीति और यहाँ तक कि युद्ध-क्षेत्रों की रिपोर्टिंग तक में साहसिक भूमिका निभा रही हैं। यह बदलाव सराहनीय है, लेकिन अभी भी अधूरा है — क्योंकि पत्रकारिता की चमक-दमक के पीछे असमान अवसर, यौन उत्पीड़न और असुरक्षा की गंभीर चुनौतियाँ छिपी हुई हैं।
महिलाओं के सामने मुख्य चुनौतियाँ
- भेदभाव और असमान अवसर
मीडिया संस्थानों के नेतृत्व पदों पर आज भी पुरुषों का वर्चस्व है। गंभीर बीट्स जैसे राजनीति, अपराध या अर्थव्यवस्था की रिपोर्टिंग में महिलाओं को कम अवसर मिलते हैं। - कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और असुरक्षा
इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स (ICFJ) की 2021 रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 70% महिला पत्रकारों ने किसी-न-किसी रूप में ऑनलाइन या ऑफलाइन उत्पीड़न झेलने की बात स्वीकार की।
यूनिसेफ और यूनेस्को की एक संयुक्त रिपोर्ट (2022) बताती है कि हर 3 में से 1 महिला पत्रकार को अपने काम के दौरान शारीरिक असुरक्षा का सामना करना पड़ा है। कई बार शिकायत करने पर भी संस्थान कार्रवाई नहीं करते। - सामाजिक अपेक्षाएँ और पारिवारिक दबाव
देर रात तक काम करना, अस्थिर समय-सारिणी और बाहरी दौरों पर जाना — ये सभी पारंपरिक सोच रखने वाले समाज में महिलाओं के लिए अतिरिक्त दबाव बनाते हैं। - ऑनलाइन ट्रोलिंग और धमकियाँ
डिजिटल मीडिया के दौर में महिला पत्रकारों को सबसे अधिक साइबर बुलिंग और ऑनलाइन यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है। यूनेस्को (2021) सर्वे में पाया गया कि 73% महिला पत्रकारों को ऑनलाइन धमकियाँ, गाली-गलौज और अश्लील संदेश मिले। इससे उनकी अभिव्यक्ति पर दबाव पड़ता है।
संभावनाओं की नई रोशनी
- नई पीढ़ी की महिला पत्रकार अब आत्मविश्वास के साथ एंकरिंग, संपादन और खोजी पत्रकारिता में अपनी जगह बना रही हैं।
- डिजिटल मीडिया ने उन्हें ऐसे स्वतंत्र प्लेटफ़ॉर्म दिए हैं, जहाँ वे अपनी शर्तों पर काम कर सकती हैं।
- महिला नेतृत्व धीरे-धीरे न्यूज़रूम में उभर रहा है।
- महिला पत्रकार संगठनों और हेल्पलाइन से उन्हें कानूनी और सामाजिक सहारा मिल रहा है।
नियोधि मीडिया संघ की दृष्टि
नियोधि मीडिया संघ, जो नियोधि फाउंडेशन द्वारा संचालित है, यह मानता है कि महिला पत्रकारों को केवल “सुरक्षा” ही नहीं, बल्कि सशक्तिकरण की आवश्यकता है। हमारा उद्देश्य है:
- महिला पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण, नेतृत्व और कानूनी सुरक्षा के मंच तैयार करना।
- हर ज़िले में महिला पत्रकारों का नेटवर्क स्थापित करना।
- उत्पीड़न के मामलों में त्वरित सहायता और कानूनी सहयोग उपलब्ध कराना।
- बालिकाओं को छात्र पत्रकारिता से जोड़कर भविष्य की पत्रकार तैयार करना।
निष्कर्ष
अगर पत्रकारिता को सचमुच लोकतंत्र का सशक्त औज़ार बनाना है, तो महिलाओं की सक्रिय, सुरक्षित और नेतृत्वकारी भागीदारी आवश्यक है। अब समय आ गया है कि हम सिर्फ़ “महिला दिवस” पर नहीं, बल्कि हर दिन उनके हक और हिस्सेदारी की बात करें।
कलम की इस यात्रा में महिलाएं सिर्फ़ सहभागी नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता बनें — यही पत्रकारिता का भविष्य है।